Wednesday, December 30, 2009

देश को आतंकवाद से ज्यादा छलनी कर रहा नक्सलवाद


देश को आतंकवाद से ज्यादा छलनी कर रहा नक्सलवाद


नई दिल्ली : देश में मुंबई हमले के बाद आतंकवाद से निबटने के लिए अलग तंत्र और कानून बनाने के लिए जोरदार तरीके से कवायद शुरू की गई। शायद इसी कारण इस साल आतंकवाद की कोई बड़ी वारदात सामने नहीं आई। लेकिन देश में दहशत बरकरार रखने में नक्सलियों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हालत तो यह है कि आतंकवाद पर भी नक्सलवाद भारी पड़ रहा है। सरकार माओवादियों को लेकर लेकर चाहे जो दावे कर रही हो पर वास्तविकता यह है कि वह माओवादियों पर काबू पाने में असफल रही है। नक्सली हिंसा में इस साल 31 अक्टूबर तक 742 लोग मारे जा चुके हैं। यह संख्या पिछले साल मारे गए लोगों से कहीं ज्यादा है। सरकार के आंकड़ों पर यकीन करें तो नक्सलवादी आतंकवादियों से चार गुना ज्यादा घातक सिद्घ हो रहे हैं। पिछले दिनों गृहमंत्री पी. चिदंबरम राज्यसभा में यह कह रहे थे कि किसी भी मुद्दे पर नक्सलियों से बातचीत करने को तैयार हैं तो उसी समय उनके मंत्रालय द्वारा कुछ आंकड़े सदन में पेश किए गए, जो कि काफी चौंकाने वाले हैं। एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री अजय माकन द्वारा दिए गए इन आंकड़ों के मुताबिक इस साल 31 अक्टूबर तक नक्सल प्रभावित राज्यों में नक्सली हमलों में 742 सुरक्षाकर्मी और आम नागरिक मारे गए हैं। 2008 में यह संख्या 721 थी। पूर्वोत्तर में पिछले साल 572 आम नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। सुरक्षाबलों ने इस दौरान 640 नक्सलियों को मार गिराया। गृह मंत्रालय के आंकड़ों को मानें तो जम्मू कश्मीर में आतंकवाद पर अंकुश लगाने में सुरक्षा बल काफी हद तक कामयाब रहे हैं। इस साल उक्त अवधि में 123 आम नागरिक और सुरक्षाकर्मियों की जानें गईं हैं जबकि सुरक्षा बलों ने 212 आतंकियों को मार गिराया है। पिछले साल 166 आम नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए थे और 339 आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मारा था। कई महीनों तक चुपचाप तैयारी करने के बाद आखिर केंद्र सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ अपना अब तक का सबसे बड़ा अभियान छेड़ दिया है। सूत्रों के अनुसार फिलहाल यह अभियान छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र तक सीमित रहेगा। दोनों राज्यों में सीआरपीएफ, बीएसएफ और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के 45 हजार जवान भेजे गए हैं। बाद में इससे भी ज्यादा आक्रामक और बेहतर समन्वय वाला अभियान झारखंड और उड़ीसा में छेड़ा जाएगा। छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ के सबसे ज्यादा 37 हजार जवान तैनात किए जा रहे हैं। शुरुआत में 25 हजार जवान भेजे गए हैं। बाद में कश्मीर से हटाकर 12 हजार जवानों को विशेष ट्रेनिंग देकर राज्य में भेजा जाएगा। उम्मीद की जाती है कि इस सबसे बड़ी संख्या में सरकार सख्ती से निपटेगी। (अडनी)

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